अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी बल्लभम ।
कौन कहता हे भगवान आते नहीं,
तुम मीरा के जैसे बुलाते नहीं ।
अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी बल्लभम ।
कौन कहता है भगवान खाते नहीं,
बेर शबरी के जैसे खिलाते नहीं ।अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी बल्लभम ।
कौन कहता है भगवान सोते नहीं,
माँ यशोदा के जैसे सुलाते नहीं ।अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी बल्लभम ।
कौन कहता है भगवान नाचते नहीं,
गोपियों की तरह तुम नचाते नहीं ।अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी बल्लभम ।
नाम जपते चलो काम करते चलो,
हर समय कृष्ण का ध्यान करते चलो ।अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी बल्लभम ।
याद आएगी उनको कभी ना कभी,
कृष्ण दर्शन तो देंगे कभी ना कभी ।अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी बल्लभम ।
अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं – भावार्थ और विवरण
अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं एक अत्यधिक लोकप्रिय भजन है, जो भगवान श्रीकृष्ण के विभिन्न नामों का जप और उनकी महिमा का वर्णन करता है। इस भजन में भगवान के प्रति असीम श्रद्धा, प्रेम और विश्वास को प्रकट किया गया है, साथ ही यह भजन भगवान को अपने जीवन में बुलाने के लिए प्रोत्साहित करता है। आइए, इस भजन के विभिन्न अंशों का गहनता से विश्लेषण करते हैं।
अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं – राम नारायणं जानकी बल्लभम
इस पंक्ति में भगवान श्रीकृष्ण के विभिन्न नामों का गुणगान किया गया है:
- अच्चुतम: जिसका कभी पतन नहीं होता।
- केशवम: जिन्होंने केशी राक्षस का वध किया।
- कृष्ण: गोपियों के प्रिय और दुष्टों के संहारक।
- दामोदर: वह जिनके पेट पर यशोदा माता ने रस्सी से बांधा था।
- राम नारायण: मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम।
- जानकी बल्लभ: सीता माता के पति श्रीराम।
यह पंक्ति भगवान के अनंत रूपों और लीलाओं को दर्शाती है, जो भक्तों को स्मरण करने के लिए प्रेरित करती है।
कौन कहता है भगवान आते नहीं, तुम मीरा के जैसे बुलाते नहीं
यह पंक्ति भगवान के प्रति विश्वास की गहरी भावना को प्रकट करती है। भजन में कहा गया है कि भगवान अवश्य आते हैं, लेकिन इसके लिए मीरा जैसी भक्ति और प्रेम चाहिए। मीरा बाई ने अपने जीवन में श्रीकृष्ण को अपने पति और ईश्वर के रूप में पूजा, और उन्होंने अपनी सच्ची भक्ति के बल पर भगवान का साक्षात्कार किया। यहां भक्तों को भगवान को सच्चे प्रेम और निष्ठा से पुकारने का संदेश दिया गया है।
कौन कहता है भगवान खाते नहीं, बेर शबरी के जैसे खिलाते नहीं
यहां भगवान की मानवता से जुड़े हुए पक्ष को प्रस्तुत किया गया है। जब शबरी ने भगवान राम को बेर खिलाए थे, तब राम ने उन बेरों को प्रेम से ग्रहण किया। इस पंक्ति में यह समझाया गया है कि भगवान प्रेम के भूखे होते हैं, और अगर कोई उन्हें सच्चे प्रेम से कुछ अर्पित करता है, तो भगवान उसे अवश्य स्वीकारते हैं।
कौन कहता है भगवान सोते नहीं, माँ यशोदा के जैसे सुलाते नहीं
इस पंक्ति में श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया गया है। माता यशोदा अपने पुत्र कृष्ण को सुलाने के लिए लोरी गाती थीं और उन्हें बड़े स्नेह से सुलाती थीं। यह भगवान के बाल रूप को दर्शाता है, और यह संदेश देता है कि भगवान अपने भक्तों के स्नेह के अधीन होते हैं।
कौन कहता है भगवान नाचते नहीं, गोपियों की तरह तुम नचाते नहीं
यहां भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला का उल्लेख है, जहां वह गोपियों के साथ नाचते थे। यह पंक्ति भगवान की लीलाओं और उनके भक्तों के साथ उनके अद्वितीय संबंध को उजागर करती है। श्रीकृष्ण गोपियों के साथ नृत्य करके उन्हें आनंदित करते थे, और यह भी दिखाते थे कि भगवान अपने भक्तों के प्रेम से प्रसन्न होकर उनके साथ नृत्य करते हैं।
नाम जपते चलो काम करते चलो, हर समय कृष्ण का ध्यान करते चलो
इस पंक्ति में साधारण और गहन जीवनशैली के बारे में शिक्षा दी गई है। इसमें यह कहा गया है कि हमें हमेशा भगवान का नाम जपते हुए अपने कार्यों को करते रहना चाहिए। यह संदेश देता है कि जीवन के सभी कार्यों के बीच भगवान का ध्यान और स्मरण करना चाहिए।
याद आएगी उनको कभी ना कभी, कृष्ण दर्शन तो देंगे कभी ना कभी
यह पंक्ति भक्तों को यह आश्वासन देती है कि भगवान कभी भी अपने भक्तों को नहीं भूलते। अगर भक्त सच्चे दिल से भगवान का स्मरण करता है, तो भगवान अवश्य ही दर्शन देंगे, भले ही वह समय कितना भी दूर हो। यह एक प्रकार का विश्वास और धैर्य का संदेश है।
निष्कर्ष
अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं भजन हमें भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अटूट भक्ति और विश्वास की शिक्षा देता है। इस भजन के माध्यम से यह बताया गया है कि भगवान प्रेम, स्नेह और भक्ति के प्रति सदैव उत्तर देते हैं। भगवान अपने भक्तों के जीवन में उनकी पुकार पर अवश्य आते हैं, लेकिन इसके लिए भक्त को सच्चे दिल से भगवान को बुलाना चाहिए।